मुझे यकीं था वो बहुत सतायेगा मुझे।
ये दिल हर हाल पर उकसायेगा मुझे।।
हर तरफ रंगीन दुनिया के नजारे दिख रहे।
लगता है अभी और वो भटकायेगा मुझे।।
दूर कहीं पर आसमां धरती मिल रहे।
कदम तो ये दिखाना चाहेगा मुझे।।
चलते-चलते ये कहां आ गया हूं मैं।
अब ये कोई क्या बतलायेगा मुझे।।
जन्नत है उसके साथ जहाँ भी रहूँ।
सो अपनी खुशबू महकायेगा मुझे।।
दर्द-तकलीफ जो मुस्कुराता रहा हूं मैं।
लुत्फे जिंदगी तो और जिलायेगा मुझे।।
हूँ नहीं किसी से कम यूँ तो उसके करम से।
अब ये भी क्या"उस्ताद"समझाएगा मुझे।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Wednesday, 31 July 2019
गजल-196
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