प्यार,प्यार,प्यार बस प्यार की प्यार से
दरकार है।
उसे कहाँ भला चित्त्त,मन,बुद्धि से सरोकार है।।
डूब जाओ इस कदर कि खुद का भी ना आभास हो।
प्यार का यही तो बड़ा सरल सीधा कारोबार है।।
तू न तू अब रहा और मैं भी न अब मैं रहा।
हर तरफ अब तो बस प्यार का त्योहार है।।
खुली चाहे रख लो आंखें हैं या कि उन्हें बंद करो।
संसार दिखे या ना दिखे,बहे बस प्यार की रसधार है।।
कौन है शख्स ऐसा जरा बताओ तो हमें भी।
पाने को जो प्यार भला रहता नहीं बेकरार है।।
दूर कितना भी रहो,फर्क पड़ता नहीं है इससे जरा।
पूरा भीग जाता है तन-मन प्यार तो बस प्यार है।।
मनमीत दिखे तो देता है संदेश फौरन ये हमें। बड़ी सूक्ष्म चेतना भरा ये प्यार का रडार है।। खुमारी जो प्यार की चढ जाए दिल में किसी के।
हार कर भी सर्वस्व अपना पाता सबका ही प्यार है।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Friday, 19 July 2019
प्यार--------प्यार-----प्यार
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