Saturday, 20 July 2019

मन हरा,रूह केसरिया

मन हरा,रूह केसरिया हो गया प्यार में तेरे।
यह दरवेश भी शहंशाह हो गया प्यार में तेरे।
हर तरफ दसों दिशा फूल ही फूल खिल रहे अब।
जीवन में मधुमास आ गया प्यार में तेरे।।
कोयल घोलती है वसंत राग कानों में मिश्री सा मेरे।
नाचता मन मयूर,लिए हुए आनंद आ गया प्यार में तेरे।।
दर्द होता है प्यार में यह सच तो है मगर।
दर्द का मगर मजा आ गया प्यार में  तेरे।।
प्यार का तिलिस्म तो यूँ खुलता ही नहीं निभाए बगैर।
पहचानना ककहरा इसका,आ गया प्यार में तेरे।।
खुल जा सिम-सिम सा आसां है दिल का दरवाजा खोलना।
बाहर-भीतर जो सरोबार हो गया प्यार में तेरे।।
@नलिन#तारकेश

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