Tuesday, 9 July 2019

लाज रखना बांके बिहारी

प्रीत की तेरी-मेरी जब से,शुरुआत नई लहकने लगी है।
बात ये अपने बीच की,सुगबुगाहट लोगों की बनने लगी है।।
दिलों पर मेहंदी अभी तो ये,ठीक से लगी भी नहीं है।
आंखों में मगर ये सयानों के,दूर से चमकने लगी है।।
हर गली,हर गांव में आजकल,बस यही तो है एक खुसफुसाहट।
हमें साथ देख तभी हर किसी की भौंह,धनु सी तनने लगी है।।
प्रीत के सरोवर की,जाने क्यों होती है डगर पथरीली।
शायद  बढ़ने से तपन,और-और हीरे सी निखरने लगी है।।
आसान कहां है भरना गगरी,सुधा-रस से अपनी।
पर है असंभव नहीं,अगर ये जो लगन पक्की लगी है।।
साँवरे तेरे प्यार में,मेरी ये जो पुष्पांजलि पड़ रही।
लाज रखना बांके बिहारी,अब तुझे सौगंध मेरी लगी है।।
@नलिन#तारकेश

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