भले लोगों की कमी अगर होती।
बता दुनिया ये कहां बेहतर होती।।
साम-दाम होते सभी बाजारू घोटाले।
रूह भी कहो हमारी अगर पैकर*होती।।*जिस्म/रूप
ख्वाब में वो जो दिख जाएं तो हकीकत में।
दर्द,तकलीफ सभी अपनी छूमंतर होती।। तिनके-तिनके बटोर के गूंथे थे जो रिश्ते।
टूटते कहां हम में जो जरा भी कदर होती।।
भटकते कहां शहर छोड़ के इधर-उधर।
तेरे आने की हमको जो जरा खबर होती।।सोचता हूं रखता जो पूरी श्रद्धा-सबूरी।
इश्क की मेरे राधा सी लम्बी उमर होती।।
बना देता कांच को बेशकीमती हीरा।
उस्ताद की जो बेमिसाल नजर होती।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Friday, 5 July 2019
183-गजल
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