Wednesday, 17 July 2019

प्यार में

जो बढ़ाते हैं कदम सोच-समझकर प्यार में। वो डूबे ही नहीं दरअसल गहरे प्यार में।।
बढ़ाने में पेंग होश रहता है कहां भला प्यार में।
दिमाग रखकर गिरवी पड़ता है चलना प्यार में।।
धार पर तलवार की चलने का जिगर चाहिए प्यार में।
यूँ कहना तो है बड़ा सरल की डूबा हूं मैं प्यार में।।
जैसे-जैसे डूबता है आपका वजूद किसी के प्यार में।
केंचुली सा उतर जाता है अपना अहम प्यार में।।
बदले में कोई देगा भला क्या किसी को कुछ प्यार में।
बाजार लगा सकता है कहाँ कीमत प्यार की प्यार में।।
कहना कुछ भी दिखाना है चिराग सूरज को प्यार में।
हो जाना चुपचाप फना*असल है कमाल   प्यार में।*लीन हो जाना
@नलिन#उस्ताद

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