ये समझना प्यार तुम्हारा मुकम्मल सिंगार हो गया।।
जिस्म भले झूठे ही खिलखिलाता रहे यूँ ही दिन भर।
भीतर उठे जो हर घड़ी टीस समझना प्यार हो गया।।
जिस्मानी प्यार बस एक मुकाम है पर वो मंजिल नहीं।
डूबके उससे जो निकला भीगे बिना वही पार हो गया।।
ऐसा नहीं वो जानता न हो दिल की खलबली तेरी-मेरी।
और-और उसका माॅझना बस अंदाजे इकरार हो गया।।
मौसम कड़ी धूप,ऑधी या पुरजोर बरसात का रहे।
अब तो रुकना हमारे कदमों को नागवार हो गया।।
शफक1 रोशनी उसकी जमाले2 पाक3 है जादू भरी इतनी।
बना "उस्ताद" आज शागिर्द उसका जो दीदार हो गया।।
1 क्षितिज पर की लाली 2 सुंदरता 3 पवित्र
@नलिनतारकेश
Kya baat h. .🙏👍
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