Tuesday, 8 June 2021

गजल-339: करने वाले ठहरे दाज्यू Gazal in kumouni

अडकस्सी करने वाले ठहरे दाज्यू
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बात तुम भी अडकस्सी* करने वाले ठहरे दाज्यू।
दो पैग बिना खुट** कहाँ बढ़ने वाले ठहरे दाज्यू।।
*अटपटी **पांव 
भल-नक् की समझ अब कहाँ ठहरी इन्हें जरा भी।
कुछ कहो तो ये और जो भड़कने वाले ठहरे दाज्यू।।

शहर जाने से तो इनकी नाक यहाँ फट्ट* चढ़ने वाली हुई।
टिटात** तो अब ऐशे में हमारे ही पड़ने वाले ठहरे दाज्यू।। 
* फौरन ** रोना-धोना
ईजा-बौज्यू* कां पूछड़ लाग रईं रत्तीभर कोई ले मेश**।
शैंड़ी*** हिसाबेल ये खुटन-खुट धरने वाले ठहरे दाज्यू।। 
*माँ-बाप  **आदमी  ***पत्नी
कतु छन लोग गाँव - गदेरन धें जरा हमनकें ले तुम बताओ।ऐसे में होली-दिवाली फिर हम कैसै मनाने वाले ठहरे दाज्यू।।

मैं तो "उस्ताद" कुणियूं* ये भले भौ जो रनकर** करोना ऐ गो।*कहता हूँ  **उलाहना देने में प्रयुक्त 
ननतर* ये बुद्धिजीबी गाँव,बुग्याल** कदर कहाँ करने वाले ठहरे दाज्यू।।* अन्यथा  ** घास का मैदान प्रकृति से जुड़ा

@नलिनतारकेश 

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