Tuesday, 22 June 2021

350: गजल- परवाह नहीं

तुझसे मिलने के सपने लिए फिरते हैं।
ये अलग बात है अभी हम भटकते हैं।। 

हम हार तो मानने से रहे यह तय है। 
परवाह नहीं लोग क्या कुछ कहते हैं।। 

जुनून है हमें खुद से गुजर जाने का।  
रास्ते तो हमें पता है इम्तहां लेते हैं।।

ये भी पता है मंजिल अपने ही भीतर है कहीं।
पर चलो कुछ देर बाहर कदम-ताल करते हैं।।

रास्ते अंजान,सुनसान बस कुछ दूर तलक मिलेंगे। 
चले गर शिद्दत से तो हर हाल "उस्ताद" मिलते हैं।।

@नलिनतारकेश 

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