लखनऊ के आज के हंसी मौसम को समर्पित चन्द अशआर
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भरी जेठ सावन सी बरसात हो गई।
लो मौसम में शुमार खुराफात हो गई।।
अच्छे भले थे जनाब,अभी कुछ देर पहले तक तो।
बादलों की लगता,जमाने से नए मुलाकात हो गई।। मदहोशी इतनी बढ़ी,बस दो पैग में कसम से।
अपने भीतर उतर के,यारब से बात हो गई।।
बौछारें आ के भीतर तक,भिगोने लग गई हैं।
सूखे दरख़्तों को तो ये,बहारे सौगात हो गई।।
रूखे,चिड़चिड़े जो थे,वो भी आज खिले दिखे।
आबोहवा बदलने से,गजब ये करामात हो गई।।
यूँ तो पीते नहीं रम,वोदका,व्हिस्की,"ओल्ड-मौन्क"।
जबसे मथके दिल अपना पीने की शुरुआत हो गई।।
"उस्ताद" खुद को समझते थे बड़ा तुर्रम खां।
मगर कुदरत के आगे,लो सरेआम मात हो गई।।
@नलिनतारकेश
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