राम नाम अनमोल मन्त्र है
सरल-सहज आसान जाप है
पर मुख से जो न निकले तो
मानव जन्म धिक्कार बड़ा है।
भाव-कुभाव सतत जपना है
जीवन अपना सफल करना है
वरना शत आयु रही भी तो
यूँ ही आना-जाना लगा रहना है।
निर्मल करता राम नाम है
तन-मन का उद्धार काम है
सोच-विचार बहुत क्या करना
जग का मूल राम नाम है।
राम-राम कह सबसे मिलना है
राम-राम कह जग से जाना है
राम तत्व की महिमा जानी तो
राम स्वरुप ही हो जाना है।
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