साक्षात् बजरंग को,तेरो मंगल रूप।
मिटा हिय अज्ञान,कर दे आत्मस्वरूप।।
जय-जय नीबकरोली बाबा।
कैसा न्यारा तेरा रुतबा।।
जगह-जगह हर रूप में दिखता।
वरद -हस्त सब पर तू रखता।।
प्यारा, मोहक रूप जो तेरा।
ध्यान आकर्षित करता मेरा।।
भक्त की इच्छा पूरी करने को।
छोड़ते देखा मुख-ग्रास को।
जब तू अपनी मौज में आता।
अदभुत कौतुक पल में रचता।।
शिव-हनुमान,ईश सरीखा ।
परम रूप भक्तों ने निरखा।।
शिव रूप में ध्यान सिखाता।
राम-राम कह मुक्ति दिलाता।।
नष्ट करे सब रोग और पीरा।
हनुमत रूप जपे जो धीरा।।
बजरंगी को कियो प्रतिष्ठित।
श्वेत मार्बल नवल अधिष्ठित।।
(बाबा जी द्वारा हनुमान जी के श्वेत विग्रह की स्थापना )
देश-विदेश सब जगह विराजे।
राम भक्त का डंका बाजे।।
बाबा तेरा रूप सलोना , मुझको सदा उबारे।
निश -दिन करूँ यही प्रार्थना,मनुवा राम उचारे।।
मिटा हिय अज्ञान,कर दे आत्मस्वरूप।।
जय-जय नीबकरोली बाबा।
कैसा न्यारा तेरा रुतबा।।
जगह-जगह हर रूप में दिखता।
वरद -हस्त सब पर तू रखता।।
प्यारा, मोहक रूप जो तेरा।
ध्यान आकर्षित करता मेरा।।
भक्त की इच्छा पूरी करने को।
छोड़ते देखा मुख-ग्रास को।
जब तू अपनी मौज में आता।
अदभुत कौतुक पल में रचता।।
शिव-हनुमान,ईश सरीखा ।
परम रूप भक्तों ने निरखा।।
शिव रूप में ध्यान सिखाता।
राम-राम कह मुक्ति दिलाता।।
नष्ट करे सब रोग और पीरा।
हनुमत रूप जपे जो धीरा।।
बजरंगी को कियो प्रतिष्ठित।
श्वेत मार्बल नवल अधिष्ठित।।
(बाबा जी द्वारा हनुमान जी के श्वेत विग्रह की स्थापना )
देश-विदेश सब जगह विराजे।
राम भक्त का डंका बाजे।।
बाबा तेरा रूप सलोना , मुझको सदा उबारे।
निश -दिन करूँ यही प्रार्थना,मनुवा राम उचारे।।
jiwan sudharne ka atiuttam sadmarg.
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