यूं तो कनखियों से निहारा करते हैं वो हमें अक्सर।
कहते हैं मगर प्यार किस परिंदे का नाम होता है।।
तंग नज़रों से प्यार को बाँचने वाले नादान लोगों।
सच्चे प्यार का हरेक हरफ़* खुदा का ईनाम होता है।।*शब्द
वो आएं या ना आएं,घर पर कभी मेरे रूबरू।
हर हाल नज़र मेरी,अक्स उनका आम होता है।।
यूं पाकीजगी से खिलता है प्यार का हरेक रिश्ता।
रूहानी प्यार तो "उस्ताद" जुदा पैगाम होता है।।
No comments:
Post a Comment