आँखों-आँखों में इशारे हुए और बात हो गयी।
लो अब जिन्दगी भी हमारी एक बारात हो गयी।।
झूला झूलने की हसरत उसके मन ही रह गयी।
नादाँ कली तो हैवानियत की घात हो गयी।।
मादरे-जुबां जबसे अपनी परायी हो गयी।
आँखों से कोसो दूर शर्मो-हया बात हो गयी।।
आग, पानी, हवा, गगन,मिटटी को बहुत लूटा।
कायनात तभी तो रूठ कर उत्पात हो गयी।।
चाँद, सितारों की बारात लो नील गगन चढ़ गयी।
आशिकों की बजी बांसुरी आज विख्यात हो गयी।।
रेशमी ख़्वाबों का काजल इंद्रधनुषी लगा कर।
याद उनकी"उस्ताद"हमको आज सौगात हो गयी।।
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