बात-बेबात देखो हरेक बेसबब बरसे।।
बुत हो गया हूँ लोग तो हैं अब पूजते।
दामन में संग* मेरे क्या गजब बरसे।। *पत्थर
अल्हड़ मिज़ाज़ बादल के अंदाज क्या कहें।
ये गरजे कहीं तो कहीं और जा सब बरसे।।
शहर में नाचते मोर भला दिखें कैसे।
बादल भी अक्सर सहमते ही जब बरसे।।
रिश्तों की बेल यूं ही सदा फलती-फूलती रहे।
जमीन पर यकीन की जो प्रीत निरालंब बरसे।।
बुत हो गया हूँ लोग तो हैं अब पूजते।
दामन में संग* मेरे क्या गजब बरसे।। *पत्थर
अल्हड़ मिज़ाज़ बादल के अंदाज क्या कहें।
ये गरजे कहीं तो कहीं और जा सब बरसे।।
शहर में नाचते मोर भला दिखें कैसे।
बादल भी अक्सर सहमते ही जब बरसे।।
रिश्तों की बेल यूं ही सदा फलती-फूलती रहे।
जमीन पर यकीन की जो प्रीत निरालंब बरसे।।
जैसा चाहे उसे वो नाच वैसा नचा दे।
"उस्ताद" रब की मौज़ तो बस अजायब* बरसे।। *अद्भुत
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ReplyDeleteChhipi hui nafrat dabae baithe hain
ReplyDeleteHam to kavi bane hain par ek aag dabae baithe hain
is kesariya me aang chupa rakhi hai
Dost bane jo hamare to kuchh alag khwahish dabae baithe hain
Nafrato ke bazar me kitabe khub bikti hai
Aisa ganda sahitya sajae baithe hain
Kabhi milna to baat achhe se karenge
Itna khoobsoorat nakab lagae baithe hain
Sitaron ki kahaniyon se shuru kiya tha safat apna
Sb Sitam garo ko takht par sajae baithe hain
Khoon jiske haath me jitna zyada hai
Uski ko khuda banae baithe hain
Bhakti hamari na poochiye sahib
Ham to Bhakti me doston ke ghar jalae baithe hain.