Tuesday, 15 June 2021

345: गजल दर्द हद से

दर्द हद से जो अपनी बढ़ने लगा।
प्यार का असर लो दिखने लगा।।
चांदनी उतर के जो ऑगन खिलखिलाई।
जमाना ये बेवजह रोशनी से जलने लगा।।
दो कदम ही चले थे अभी तो साथ बस।
असर एक दूजे का हम पर पड़ने लगा।।
कहा नहीं कुछ बस हाथ थाम लिया।
दिल ए गुलशन खुद से महकने लगा।।
ऑखों में लिए खुमारी वो गजब की है आया।
होश "उस्ताद" कहो कहाँ फिर रहने लगा।।

@नलिन तारकेश 

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