फिर भी मेरा ये दिल कहाँ मानता है।।
बार-बार कहने से भी होगा भला क्या।
कहता हूँ मगर ये बावजूद सब पता है।।
ऐसा नहीं की करी न हो दिले मुराद पूरी।
लेकिन बस एक बात हर बार टालता है।।
जो कहता हूॅ आजा सांवरे एक बार तो।
कहाॅ नहीं हूॅ मैं उल्टे मुझसे ही पूछता है।।
तेरा वजूद करीब होके भी देख पाता नहीं।
बता ये जाल माया का क्यों नहीं तोड़ता है।।
उम्र आधी तो कट गई बस यूॅही फकत जैसे-तैसे।
रहेगा इंतजार,कब तलक "उस्ताद" यही सोचता है।।
@नलिनतारकेश
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