Saturday, 5 June 2021

बात- गजल-:336

गजल हो तो छोटे बहर* की हो।*मीटर/स्केल
बात मगर गहरे असर की हो।।
गैर के खतो-खिताबत* से वास्ता क्या?*चिठ्ठी-पत्री
बात बस खुद के तजुर्बे सफर की हो।। 
बात ही बात में तिल का ताड़ बने बात। 
सो गुफ़्तगू बस जज्बात के कदर की हो।।
जलेबी से छानने में माहिर है बात सभी।
कभी तो सदाकत* दिल के भीतर की हो।।*सत्यता
चाहत है "उस्ताद" अपनी तो बस यही।
बात हो तो ता-उम्र पाक-परवर* की हो।।*खुदा

@नलिनतारकेश 

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