मेरे सावन की आज पहली बरसात हो गई।
झरोखे खुले दर के और मुलाकात हो गई।।
उसकी रजा जो किस्मत मुझ पर खैरात हो गई।
कुदरत की अजीबोगरीब ये करामात हो गई।।
जागता हूँ जैसे सहर*हो आफताब**लिए। *सुबह **सूरज
अब दुनिया कहे तो कहे कि रात हो गई।। खुशबू सा तैरता हूं हवा में जिस्म से परे मैं।
कुदरत की अजीबोगरीब यह करामात हो गई।।
हर तरफ खिलने लगे हैं कांटों में भी फूल। सफर की नई यूँ मेरे बड़ी शुरुआत हो गई।।
बड़े इतराते फिरते हैं"उस्ताद"आज तो मेरे।
माशूके-हकीकी*से जो उनकी बात हो गई।।*ईश्वर
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Monday, 15 July 2019
188-गजल
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