एक आँख आँसू तो एक में हंसी है।
जिंदगी तेरी रस्साकस्सी बड़ी है।।
छेड़खानी सरेआम देख संसद में।
आँख गैरत से सबकी झुकी है।।
सजा देने में जाने क्यों उनको।
इंसाफ की आँख पट्टी बंधी है।।
अब तो हर साँस आने-जाने में यारों।
बस एक उम्मीद की लौ ही बची है।।
वो न दिखा होता तो बात और थी।
अब तो खुमारी उसकी ही चढ़ी है।।
बरस रहे जो बादल उमड़-घुमड़ के।
लगता है जुल्फ आज तेरी खुली है।।
क्या कहूँ क्या न कहूँ जलवों की बात।
कलम तो मेरी अब चलती नहीं है।।
साँवली सूरत औ अधरों में बाँसुरी।
टकटकी"उस्ताद"तो मेरी लगी है।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Monday, 29 July 2019
गजल-194
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