Tuesday 17 April 2018

अपने बारे में

जानना तो चाहता है हर कोई राज अगले के बारे में।
ये अलग बात है बतियाता नहीं घुलमिल कर अपने बारे में।।

बहुत बड़ी है दुनिया भीतर की ही जो है फैली हुई।
पता ही नहीं हजार बातें जो छुपी रहती खुद के बारे में।।

अंगुली उठाकर पूरे जोश से गिनाता तो है दूसरों की गलतियां।
मगर क्यों तन जाती है वही अंगुलियां पूछने पर उसके बारे में।।

जंगल भटकता तो बहुत है कस्तूरी के लिए ताउम्र हिरन।
खुश्बू ये है भीतर की ही जानता कहां इसके बारे में।।

जाने कब बेचोगे खुद को औरों की तरह माल-असबाब के जैसे।
"उस्ताद"जी तुमने कुछ सीखा ही नहीं कभी भी इस फन के बारे में।।

@नलिन #उस्ताद

Monday 16 April 2018

पूछता नहीं है।

ये अजब शहर मेरी रवायतों(सुनी सुनाई बातें) का हिस्सा नहीं है।
यहां तो बेवजह कोई किसी को पूछता नहीं है।।

जाने कैसे-कैसे अजब किरदार में ढल रहा शहर का आदमी।
खुद ही फैला रहा प्रदूषण पर उसमें जीना चाहता नहीं है।।

खा रही धूल दादी की लोरियाॅ और खत- किताबत भूल गयी पीढीयाॅ।
बगैर दिल-ए-अजीज मोबाइल तो अब यहाॅ किसी की सांस चलती नहीं है।।

जाने किस बात की जल्दी में हर शख्स दौड़ता दिख रहा।
पहले आप की तहजीब तो अब कहीं भी दिखती नहीं है।।

जानते हैं सब तख़ल्लुस"उस्ताद"का खुद से चस्पा कर लिया।
वरना तो आलिम-फाजिल(विज्ञ-जन) तेरा कोई मैयार(कसौटी) ही नहीं है।।

@नलिन #उस्ताद

Thursday 12 April 2018

आओ डूब कर प्यार करें

मौसम हो जायेगा यह खुशगवार,आओ डूब कर प्यार करें।
मिट जाएगा सारा झगड़ा-फसाद,आओ डूब कर प्यार करें।।

मरुथल बना जो अपना जीवन,हर सांस-सांस की दौड़ में।
बन जाएगा खिलता उपवन,आओ डूबकर प्यार करें।।

आंखों में ना जाने कितने सपने पाले,हम फिरते मतवाले।
सच्चे हो जाएंगे हर एक सपने,आओ डूब कर प्यार करें।।

यायावर सा होगा नहीं भटकना हमको,मंजिल पाने में।
दुनिया सारी करतलगत होगी,आओ डूब कर प्यार करें।।

रोते हैं यह दुनिया वाले,जो प्यार किया ना करते हैं। 
रण में है जो"नलिन"को खिलना,आओ डूब कर प्यार करें।।

@नलिन #तारकेश

Wednesday 11 April 2018

चितचोर

बजाओ ना कान्हा बांसुरी जो लेती चितचोर।  बौरायी सी मैं विस्मृत हो रह जाती चितचोर।।

काम-धाम,व्यवहार जगत के जाते सारे छूट। उलबुली सी,धरे नखरे रह जाते,सुनो चितचोर।।

जनम जनम की बैरन मेरी सास ननद तुम जानो।
फिर भी आग लगाने और तुम आ जाते चितचोर।।

जब जब देख तुम्हें छुप जाती मैं कपाट की ओट।
बाॅह पकड़ कर गले लगाते तुम तो बड़े चितचोर।।

सुंदर श्याम अलकावलि पर अति शोभित मोर मुकुट।
आओ ना कभी गली हमारी ओ बांके चितचोर।।

श्याम नैन कजरारे मधुकर"नलिन"ललचावें।विरह अगन में रोज जलाए,अजब-गजब चितचोर।।

@नलिन #तारकेश

Tuesday 10 April 2018

सुर छेड़ दिए हैं तुमने

बना बांस की मुरली जो सुर छेड़ दिए हैं तुमने।
फूंक मार कर पोर-पोर सुर छेड़ दिए हैं तुमने।।

नवल बसंत है उर दहलीज हमारे छाई।
भरे प्रेम रसीले जब सुर छेड़ दिए हैं तुमने।।

श्वेत-श्याम से"नलिन" खिल रहे नयन सरोवर में।
राधा मोहन युगल छवि से सुर छेड़ दिए हैं तुमने।।

मोह में तेरे देह बाॅवरी सुध-बुध अपनी भूली।
जो मुझको प्रीत से जकड़े सुर छेड़ दिए हैं तुमने।।

मैं ना भूलूंगा कभी भी तुमको जनम-जनम के फेर में।
ऐसी लगन"उस्ताद"लगा दी जो सुर छेड़ दिए हैं तुमने।।

@नलिन #उस्ताद

Sunday 8 April 2018

दिल में उठी एक पीर

कृष्ण प्रेम दीवानी मीरा को सादर भेंट
☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆ अपनी एक रचना
☆☆☆☆☆☆

हमको पीर बना देती है दिल में उठी एक पीर।
नचाती है मीरा की तरह दिल में उठी एक पीर।।

कलेजे में तब एक हूक सी उठती है तेरे। बाॅवला बना देती है दिल में उठी एक पीर

चाहे रहो यार दुनिया के किसी भी कोने में तुम।
मिला ही देती है साजन से दिल में उठी एक पीर।।

सवालों के घेरे में उलझाती है कभी यह हमें।
जवाब भी मगर खुद लाती है दिल में उठी एक पीर।।

रहो चाहे लाख खानाआबाद(गृहस्थी में)से जमाने के लिए।
पर बसा लेती है अलग दुनिया दिल में उठी एक पीर।।

रहता है बड़ा अलग सुरूर मस्ती का "उस्ताद"।
लिखा नयी देती है ग़ज़ल दिल में उठी एक पीर।।

@नलिन #उस्ताद

Saturday 7 April 2018

छूट है पूरी

बड़े इतमीनान से तुम मारो छूट है पूरी।
हुजूर हैसियत अगर ऊॅची तो छूट है पूरी।।

रोती कराहती जनता पर दो लात और मारो। दबंग हो तो डर कैसा तुम्हें छूट है पूरी।।

जूती पर कानून को नाक रगड़वाओ अपनी। नामी-गिरामी माईबाप को छूट है पूरी।।

आतंकियों को पालिए या कि देश मेरा चूल्हे में झोंकए।
जम्हूरियत है साहिब कुछ भी करें आपको छूट है पूरी।।

उधारी पर कुछ हजारों की भेज दो जेल ता- उम्र सारी।
रसूख हो अगर तो करोड़ों डकारने की छूट है पूरी।।

धेले भर की मेहनत ना कीजिए,सरकार जब साथ है आपके।
लूॅ बलैया कोटे की तेरे,मारिए हक सबका छूट है पूरी।।

जाति मजहब में नफरत के बीज बो बांटते चलिए।
"उस्ताद"बपौती है जब देश तो छूट है पूरी।।

@नलिन #उस्ताद

परेशान होने से

परेशान होने से कुछ नहीं होने वाला।
यह दर्द तो दवा से ना ठीक होने वाला।।

कदमों में उसके तुम अपना सर रख दो। मुश्किलों का हल तभी सब होने वाला।।

उजालों की उम्मीद से चहकते हैं परिंदे।
सूरज तो मगर अपने ही समय आने वाला।।

चाहत बहुत है उसको बनाने की अपना।
डरने से मगर यारब कुछ नहीं होने वाला।।

करनी पड़ती है कभी कवायद भी इस दुनिया  में।
हाथों की लकीरों से खाली नहीं होने वाला।।

गुरु घंटालों की फौज हर तरफ मुस्तैद है। "उस्ताद"तेरा यहां कुछ नहीं होने वाला।।

@नलिन #उस्ताद

Friday 6 April 2018

वो मुझसे

वो मुझसे बेइंतहा प्यार करता है।
हर कदम में मेरे साथ रहा करता है।।

क्या-क्या लिखूॅ कहो उसकी दरियादिली पर। हर इल्जाम से तो वो बचा मुझे रखता है।।

खुदा ना खास्ता हो जाए अगर तकलीफ मुझे।
पूरी कायनात सर अपने उठाए फिरता है।।

खुद को भला क्या खाक वो प्यार करेगा।
दर्द पर दूसरों के जो हंसता-फिरता है।।

आसान नहीं है"उस्ताद"उससे आंख मिला पाना।
वो तो सदा बस कसौटी पर नेकी कसा करता है।।

@नलिन #उस्ताद

Wednesday 4 April 2018

हो कभी फुसॆत

हो कभी फुर्सत तो आना कभी फुर्सत में।
यूॅ होती तो नहीं फुर्सत कभी फुर्सत में।।

उम्र निकल गई यूॅ ही सारी मान मनौवल में। सोचा था करेंगे हम दिली गुफ्तगू कभी फुर्सत में।।

चुनाव खोपड़ी में हों तो मिलते हैं नेता बड़े प्यार से।
जनाब यूॅ लूटने से देश तो होते नहीं कभी फुर्सत में।।

छोड़कर जब बढो कभी गली को उसकी दिल से।
फिजूल है सोचना भी तब तो कभी फुर्सत में।

वो दिन भी क्या थे जो बिताए हमने अपने बचपन में।
मिलता है चैन उसी से होते हैं जब कभी फुसॆत में।।

खोए हो जब दुनियावी रंगीनियों में डूब के।
होगे कहां भला"उस्ताद"तुम कभी फुर्सत में।

@नलिन #उस्ताद