Thursday 15 June 2017

गरमी ही गरमी

परशुराम भये अस लागैं रवि
क्रोध की सीमा न देखाइ रही है।
महि आज तवा सगरी लागति
जनु चूल्हे पै नियति जराइ रही है।
सृष्टि विकल तड़पति सगरी
घन राशि कतहुं न देखाइ रही है।
अब दिवस गरम है आगी सों
घर-बाहर सब सुलगाइ रही है।

छन्दक

बेटी दिवस

बेटियां माता- पिता का अभिमान होती हैं ।
बेटियां दोनों कुलों की शान होती हैं।
बेटियां अपनों पर सदा कुर्बान
होती हैं।
बेटियां अपने जन्मदाताओं की जान होती हैं।

बेटी दिवस की ढेर सारी बधाई!