जो फूल खिलें नागफनी में तो वो सुंदर दिखते हैं।
उनके अक्स आंखों में अपनी खूब भले लगते हैं।।
जैसे वो करता है रोज अपना रुख सूरज की ओर।
सूर्यमुखी सा हम भी सजदा वाहिद* को करते हैं।।*ईश्वर
बनाए या दे बिगाड़ सब कुछ है उसकी ही मर्जी।
अब हर काम तो बस हम अपना रब पर छोड़ते हैं ।।
इकराम* हुजूर के नाम का है गजब फैला हुआ।*ख्याति
अंताक्षरी तभी तो उसके नाम कि हम रोज खेलते हैं।।
प्यार में ये नया मुकाम आ गया "उस्ताद"
अब तो।
घुमाते हैं जहां भी नजर बस उनको ही देखते हैं।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Thursday, 18 July 2019
189-गजल
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