Monday, 1 July 2019

178-गजल

आदमी अपने साथ यूं तो हर वक्त रहता है।
खुद को मगर फिर भी कहाँ पहचानता है।।
तेरे हर घड़ी साथ के एहसास के बावजूद। दर्द एक मीठा सा मेरे संग साथ रहता है।।तेरा मेरा प्यार बदस्तूर यूं ही जारी रहेगा।
दर्द और रात का यही तो गहरा रिश्ता है।।किसी की सिफारिश हमें तो होती नहीं।
खुदा पर यकीं जब भी गहरा महकता है।। अंधेरी खदान दर्द जिसने गुमनामी का झेला उस्ताद बन के वो एक दिन हीरा चमकता है। @नलिन#उस्ताद

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