पहली बारिश है नहा तो लीजिए हुजूर।
जरा नखरे ताक पर रख आइए हुजूर।।
वो भी तो कम मगरूर नहीं है माशाल्लाह।
पहल थोड़ी आप ही निभा दीजिए हुजूर।।
बरसात में न भीगे तो भीगेंगे कब आप।
मौका ए दस्तूर यूं तो ना छोड़िए हुजूर।।
हंसी-ठिठोली चलती रहेगी ये तो उम्र भर।
नाराजगी इसलिए अब जरा छोड़िए हुजूर।।
मखमली सेज है हरी दूब की भीगी हुई। दूरियों को अब आप भी पाटिए हुजूर।।
शहर की बरसात में मिजाजे रंग है आपका।
भर के निगाह जरा सब पर बरसिए हुजूर।।
आवारा बादलों के मिजाज तो हैं जग जाहिर।
ये दिल्लगी आप न उस्ताद से कीजिए हुजूर।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Tuesday, 2 July 2019
179-गजल
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