Saturday, 1 June 2019

154-गजल

तू जो कुछ भी करे दिलो दिमाग से।
करूंगा मैं भी बच के हमेशा राग से।।
सोच तेरी-मेरी,सब की एक सी रहे।
मिल-जुल बढें आ हम सब भाग*से।*भाग्य
ए खुदा नूर ए इलाही तू जमाने भर का।
बचा के ले चल हमें अब गुनाहे दाग से।।
कहे तू जो मेरी शरण आएगा सब छोड़ के।करूंगा साफ यकीनन गुनाह की पाग से।।
बदनियति से बचा रखना हमें तू खुदावंद।
इकठ्ठे कमाएं उस्ताद सवाब बड़े भाग से।। 

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