Thursday, 20 June 2019

योग दिवस पर विशेष(कविता)

"अष्टांग योग"(योग दिवस 21जून पर विशेष)
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चित्त वृत्ति निरोध हेतु करते हैं जो हम निरंतर काम।
उस"अष्टांग-योग"के हैं प्रचलित विशिष्ट आठ आयाम।।
यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार हैं पाँच बहिरंग।
वहीं धारणा,ध्यान,समाधि ये योग के तीन अंदरूनी अंग।।
अहिंसा,सत्य,अस्तेय,ब्रह्मचर्य,अपनाकर "अपरिग्रह"*करना।
*अधिक संचय से बचना
पाँच सामाजिक नैतिकता अपनाना यही "यम" का है कहना।।
शौच,संतोष,तप,स्वाध्याय तथा प्रभु पर रखो अटल श्रद्धा।
पांच व्यक्तिगत नैतिकता"नियम"की है यही सहज मर्यादा।।
नियमित"आसन"करते हैं हमारे तन-मन को सदैव निरोग।
"प्राणायाम"वहीं सांसों पर नियंत्रण से दूर करे  मन के रोग।।
"प्रत्याहार"चित्त को इंद्रियों के विचलन से हमें बचा एकाग्र करता।
जिससे हमारा फिर चित्त उत्कृष्ट विचार को"धारणा"से बांध लेता।।
इस उत्कृष्ट विचार की चित्त में सतत एकाग्रता ही"ध्यान"कहलाती।
"समाधि"में फिर निर्विकार या साकार लौ ब्रह्म से जो है जगाती।।
@नलिन#तारकेश

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