Wednesday, 12 June 2019

164-गजल

प्यारा बड़ा तू तो है सजन मेरा।
संवारता हर घड़ी ये जीवन मेरा।।
महज आने की आहट सुनके तेरी।
महक उठता है सारा गुलशन मेरा।।
घुली पाजेब की रुन-झुन हवा में।
करने लगा है दिल छन-छन मेरा।।
उमड़ने-घुमड़ने लगे हैं जो काले बादल।
रूहे तपन मिटाने आया साजन मेरा।।
जमाने के बहकावे में आओ न उस्ताद तुम।
वायदा-ए-कोताही करता नहीं मोहन मेरा।।

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