Sunday, 9 June 2019

162-गजल


रिश्तों में आजकल बात ये नई खास है।
नहीं किसी को किसी पर जरा विश्वास है।। जंगलों में कंक्रीट के नजरबंद है जिंदगी। कहता मगर हाकिम इसको ही विकास है।।फैशन ज़माने के अजब सिरफिरे देखिए। बेशकीमती बिकता फटा ब्रांडेड लिबास है।। खुसूसी-उमराव*अजाब** का राग अलाप रहे।*प्रसिद्ध व्यक्ति**दुर्भाग्य
मजलूम*वहीं दो जून की रोटी पर खलास है।।*पीड़ित
भरा सीने जो गुबार दुनियावी ज्यादती का। "उस्ताद"बस निकालता उसकी भड़ास है।।

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