Sunday, 2 June 2019

155-गजल

कड़ी धूप जब अपना साथ साया नहीं देता।
वो तो महज दोस्त जो ठिकाना नहीं देता।।
तन्हाई रात की कैसी बिताई क्या बताएं। पूनम का चांद भी जब उजाला नहीं देता।। जिगरी यार की खूबसूरत एक पहचान है। बेबाक,बेलौस कहे मगर ताना नहीं देता।। मुस्तकबिल में होगा जितना उतना ही मिलेगा।
वो राई-रत्ती कभी कम या ज्यादा नहीं देता।।
प्यार  हो जाए जब कभी जुनून की हद तक। गैर को अपनी दीवानगी दीवाना नहीं देता।। बेफिक्री का आलम उस्ताद की तुम मत पूछो।
खुद को वो कभी भाव का एक आना नहीं देता।।

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