Sunday, 9 June 2019

160-गजल

दिल से अपने रोज बतियाता हूं मैं।
तभी तो इतना खिलखिलाता हूं मैं।।
लोग तो कहने लगे हैं अब पागल मुझे।
मगर फिर भी हर हाल गुनगुनाता हूं मैं।।
कोई करे या न करे हौंसला आफजाई।
अपनी रोशनी से खुद जगमगाता हूं मैं।।
तंज करके करती है परेशां दुनिया।
रूठे दिल को खुद ही मनाता हूं मैं।।
देखता नहीं किसी को शक की निगाह से।
खुद से जो हर रोज ऑख मिलाता हूं मैं।।किसी के कहने से बहकता नहीं।
अपना तो उस्ताद विधाता हूं मैं।।

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