Friday, 14 June 2019

166-गजल

धत् तेरी की,धत् तेरी की,धत् तेरे की।
एक दूजे की चाहें,सब ही,धत् तेरे की।।
बड़े जुगाड़ टिकट चुनाव मिला था हमको।
मगर है निकली किस्मत फूटी,धत् तेरे की।।
जिस-जिस को भी हमने सोचा,बने हमारी।
निकली बेवफा सारी की सारी,धत् तेरे की।।
पप्पू को पीएम पद की उम्मीद बड़ी थी।
पर मिली हार उसे करारी,धत् तेरे की।।
लो चौकीदार हुए जब सभी आम जन।
चोरों की सारी पोल खुली,धत् तेरे की।।
जल्दी-बाजी के चक्कर में अक्सर।
चौराहों पर है चोट लगी,धत् तेरे की।।
पाले पाक आतंकी जो घर-घर अपने।
थू-थू होती खुद की उसकी,धत् तेरे की।।
शागिदॆ अब बेशर्मी से खुल के कहता।
बहुत सुनी उस्ताद तुम्हारी,धत्त तेरे की।।
@Nalin#Ustaad

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