पितरों को श्रद्धा-सुमन
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आए हैं पितर दूर से,जरा इनका मान तो कीजिए।
थके-मांदे हैं ये,आप इनका सत्कार तो कीजिए।।
मिलने चले आए हैं ये,प्यार के वशीभूत हो हमसे।
बस भाव के भूखे हैं ये,सो भावांजलि तो दीजिए।।
पाला था इन्होंने हमको,न जाने कितने जतन से।
दिए थे जो संस्कार उनका,थोड़ा तो पालन कीजिए।।
कैसी चल रही जिंदगी आपकी,जानने को हैं उत्सुक बड़े।
दरियादिली दिखा किसी गरीब की,आप भी मदद कीजिए।।
करुणा,दया,मदद का कभी भी,कोई यूँ तो है विकल्प होता नहीं।
सो इनमें ही रूप नारायण,या कि फिर पितर का तलाश लीजिए।।
आज जो भी हैं हम-आप सभी,पितरों के अति पुण्य प्रताप से।
वो ऋण तो है उनका अतारणीय,पर श्रद्धा से स्मरण तो कीजिए।।
भादो की पूनम से लेकर,आश्विन के घोर अमावस सोलह दिनों।
कम से कम किसी एक दिन,पितरों को अपने श्रद्धा से नमन कीजिए।।
@नलिन#तारकेश
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Saturday, 14 September 2019
पितरों को
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