तू भी मुझसे लगता हो गया खफा है।
मगर बता तो सही क्या मेरी खता है।।
ये जीने वाला तेरी खातिर जी रहा है।
मगर जो मरा वो तेरे वास्ते ही मरा है।।
रखते हो जितनी बदनियति गैरों के लिए जेहन में।
ध्यान रखना उसके पास सब का लेखा-जोखा है।
जो पहेली जिंदगी की बूझ पाए तू अगर। भली है ये बहुत वरना तो बड़ा झमेला है।। चाहे तो मुगालता पाल कर देख ले तू भी।
सच तो यही कि काटना सफर अकेला है।। सब कुछ हर बार सलीके में ही न ढूंढा कर तू।
ये जो है बेतरतीब इसमें भी एक सलीका है।।
बूझ न पाए वो खुद ही जरा ये गौर कीजिए।
मिजाज़ ऐसा अपने उस्ताद का अनोखा है।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Tuesday, 3 September 2019
गजल225 खफा है
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