Monday, 23 September 2019

गजल-249:छनक रही

हर कदम के साथ मेरे पायल छनक रही।
लगता है मेरे साथ-साथ तू भी बहक रही।।
यूँ तो तुझसे बिछड़े एक जमाना हो गया। खुशबू तेरे ख्याल की अब तक महक रही।। फूल ही फूल खिले अहसास के आसपास। शबे महताब सी इस अमावस रौनक रही।।आने की बस उम्मीद में बहारों का मौसम।
टोली हर डाल-डाल परिंदों की चहक रही।।
चलते-चलते जो मंजिल के निशां दिखे। निगाहें थके राही की फिर से चमक रही।। होगा आमना-सामना माशूके हकीकी से। दिले धड़कन तेज लो"उस्ताद"धड़क रही।।
@नलिन#उस्ताद

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