संभावनाओं को,श्रीचरण समझ रामके,आप पखारिए।
बनके केवट खुद आज अपनी नाव ये पार लगाइए।
मिलाने से आंख मछली की आँख से जरा न हिचकिचाए।
स्वयं है आप सव्यसाची*खुद को जरा सही से स्वीकारिए।।*अर्जुन/दोनों हाथ से सिद्ध
तरकश कुशल-कर्म के दिव्यास्त्र पर दृष्टि भी तो डालिए।
उठाइए लक्ष्य पर दिव्य गांडीव अपना कंठ सूखे भिगाइए।।
ज्ञान का प्रभाकर प्रचंड दिशा प्राची अब तो उगाइए ।
लालिमा बाहोंमें भरके उसेअपनी अंकशयनी बनाइए।।
खुद ही बनके जामवंत प्रज्ञा को आप झंझोरिए।
नामुमकिन कुछ भी नहीं है हनुमान बन दिखाइए।।
कर्म यज्ञ तो होगा यूं ही निरंतर ये भी आप जान लीजिए।
कहाँ,कैसी रहेगी भूमिका स्वस्थ आपकी बस इसे पहचानिए।
हर काम है जो सत्यम शिवम सुंदरम उसे राम काज जानिए।
भुला कर बस अहम् अपना हर काम को सुलटाइए।।
@नलिन#तारकेश
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Tuesday, 10 September 2019
संभावनाओं को श्रीचरण समझ राम के
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