होने को हकीकत हर ख्वाब तैयार है।
हुआ उसे जब से उसका दीदार है।।
फिजा में दिख रही है अभी से नायाब छटा। होगा आगे क्या उसे बस इसका इंतजार है।।
कदम दर कदम सांसो का संग सिलसिला चल पड़ा।
लेने को दिलकश आकार ये आशियाँ तैयार है।।
आँखों में उसके नूरअब कुछ अलग ही दिख रहा।
यूँ अभी तो बस शुरू हुआ प्यार का इजहार है।।
राहें अलग-अलग मिल गईं खूबसूरत मोड़ पर।
करने खैरमकदम* लो यहाँ मंजिल भी बेकरार है।।स्वागत
बजने लगी"उस्ताद"दिले दहलीज पर शहनाईयाँ।
नजदीक आ गई बारात कानों में पड़
रही पुकार है।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Wednesday, 18 September 2019
गजल-243 शहनाईयाँ
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