Friday, 13 September 2019

231-गजल:खैरात हो गई

बाद एक मुद्दत जो उससे मुलाकात हो गई। लो उमस भरी रात चुपचाप बरसात हो गई।।
महकता है हर ख्वाब जागने के बाद भी अब तो।
हकीकत की देखो ये नई गजब शुरुआत हो गई।।
दबी थी दिल में जो दुआ एक जमाने से। कबूल होना ये खुदा की करामात हो गई।।
लगे हैं फूल खिलने बंजर जमीं में हर तरफ। प्यार की बड़ी ये दिलों को सौगात हो गई।। हौंसला दिया जो उस्ताद ने चलने का हमें। कामयाबी तो जैसे सदा को खैरात हो गई।।
@नलिन#उस्ताद

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