Wednesday, 4 September 2019

गजल-226 :प्यार में तेरे

लो खुद को ही मैं भूल गया प्यार में तेरे।
जिस्म,रूह,वजूद सब हुआ प्यार में तेरे।।
उम्मीद तो न थी की हमें ये दिन भी नसीब होंगे।
ख्वाबों ने ओढा हकीकत का जामा प्यार में तेरे।।
हुई है मुझको पहली बार ऐसी नशा तारी।
जो बगैर नशे के हूँ झूम रहा प्यार में तेरे।।
कहते हैं लोग सभी होता है दर्द बहुत इसमें।
पर याद कहाँ अब जबसे डूबा प्यार में तेरे।।
पहले दुनिया भरमाती थी अब चलती है पीछे। सच में हाल गजब हो रहा यारा प्यार में तेरे।।
आते-जाते रस्ते में मिलते हैं जो लोग सभी। हर कोई है मुझको लगता डूबा प्यार में तेरे।।
अब क्या माँगे उस्ताद भला कुछ भी उससे। तमन्ना रही अब कोई कहाँ जरा प्यार में तेरे।।
@नलिन #उस्ताद

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