Saturday 7 September 2019

गजल-228 चन्द्रयान -2

कुछ मुझसे ही जाने-अनजाने खता हो गयी ए मेरे चाँद।
वर्ना मिलने की तो तुझमें भी कम न थी बेकरारी ए मेरे चांद।।
खैर चल छोड़ ये तो हुई अब पुरानी बात।
होगा दीदार तेरा जल्दी ही ए मेरे चांद।।
तेरे आंचल ला के भर दूंगा देखना बेहिसाब प्यार इस बार।
कसम से खफा ना होना ये जुबां मेरी रही  ए मेरे चांद।।
ये दुनिया भी मतुमइन*होगी जान ले तब तेरे मेरे इश्क से।*भरोसा
हर जगह बात बस हमारी ही छिड़ेगी ए मेरे चांद।।
प्यार में थोड़ी इंतजारी से मिलने की बात कुछ और है यार।
जिस्म,रूह उस्ताद सब हैं पलकें बिछाती  ए मेरे चांद।।
@नलिन#उस्ताद

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