वादा रहा खुद को तुझे हम भुलाने न देंगे उम्र भर।
कभी हिचकी तो कभी ख्वाब से जगायेंगे उम्र भर।।
जिसकी मिट्टी ने धड़कना हमारे दिल को सिखाया।
उसकी खातिर जिस्म ओ जान लुटायेंगे उम्र भर।।
वतन की खातिर जो शहीद हो गए बेखौफ होकर।
गीत उनकी याद में शहादत के गायेंगे हम उम्र भर।।
मजलूम,मजबूर जो थक हार खड़े हैं हाशिए पर।
अब दिलों में उनके भी उम्मीदे लौ जगायेंगे उम्र भर।।
जाति,मजहब की दीवारें तोड़ लगा सबको गले।
नया रौशन मुल्क ये अपना बनाएंगे उम्र भर।।
आदम तो रब ने बना दिया मगर इंसानियत जिसने दी।
चौखट पर हम ऐसे"उस्ताद"की सर झुकायेंगे उम्र भर।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Tuesday, 27 August 2019
गजल-219वादा रहा••••उम्र भर
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