Sunday, 11 August 2019

गजल-206

पुत्रदा एकादशी पर सभी को बहुत बधाई के साथ:
                    मां-बाप
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याद हर बार आते जो उनसे हम बिछड़ते हैं। सामने तोअक्सर मगर नजरअंदाज करते हैं। उनकी ही इनायत करम का है ये सिला।
वजूद जो हम आज अपना देख पाते हैं।।
दर्द-तकलीफ सबसे निजात मिलती है हमें।
अपने ऑचल से चुपचाप जो हवा करते हैं।।
हर दिन होली और रात दीपावली उनकी।
नेमत से संगे साए जो मां-बाप खेलते हैं।।
हर सांस है उनका अजीम एहसान हम पर।
"उस्ताद" ये कहाँ हम भला भूल सकते हैं।।
@नलिन#उस्ताद

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