तेरी चौखट से दिल लगाने की जरूरत नहीं है।
लाख कर तू दावा मगर तुझमें शराफत नहीं है।।
पता चला मगर तब तक मेरी उम्र गुजर गई।
जो दिल दिया वो तेरे पास सलामत नहीं है।।
खुद मुझे यकीं न था पर देखा तो अब जा के हुआ।
सच ही कहते हैं लोग ठीक तेरी सोहबत नहीं है।।
खुदा के नाम पर कत्लोगारत दुनिया में करना।
बेगैरत ये तरीका तो मुस्तहक*इबादत नहीं है।।*उपयुक्त
यूँ पतंग सी आवारगी दिनभर हवा में तू कर रहा।
पर तुर्रा ये कि मुझसे बात की भी फुरसत नहीं है।।
हमें खबर है दुनियावी तौर-तरीकों की मगर क्या करें।
कहना सच को सच"उस्ताद"खिलावत नहीं है।।
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Tuesday, 20 August 2019
गजल-208
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