Tuesday, 20 August 2019

गजल-208

तेरी चौखट से दिल लगाने की जरूरत नहीं है।
लाख कर तू दावा मगर तुझमें शराफत नहीं है।।
पता चला मगर तब तक मेरी उम्र गुजर गई।
जो दिल दिया वो तेरे पास सलामत नहीं है।।
खुद मुझे यकीं न था पर देखा तो अब जा के हुआ।
सच ही कहते हैं लोग ठीक तेरी सोहबत नहीं है।।
खुदा के नाम पर कत्लोगारत दुनिया में करना।
बेगैरत ये तरीका तो मुस्तहक*इबादत नहीं है।।*उपयुक्त
यूँ पतंग सी आवारगी दिनभर हवा में तू कर रहा।
पर तुर्रा ये कि मुझसे बात की भी फुरसत नहीं है।।
हमें खबर है दुनियावी तौर-तरीकों की मगर क्या करें।
कहना सच को सच"उस्ताद"खिलावत नहीं है।।

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