Wednesday, 21 August 2019

गजल-210

अभी तू बेवफा है मगर ये भी यकीं है।
होने में तुझे बावफा अब देरी नहीं है।।
ये जिन्दगी अजब पहेली है यारब।
दिलों में अश्क तो लबों पर हँसी है।।
उड़ने को तो वो उड़ गया आसमां में।
कहाँ कदमों के नीचे उसके जमीं है।।
रखने बाकी हैं कदमों के निशां अभी तो।
उमर तो हुई मगर कहाँ हौंसले में कमी है।।
पाल कर मुगालता*चल तू भी देख ले।*भम्र
यूँ ऐसे नहीं जुल्फ"उस्ताद"की पकी है।।
@नलिन#उस्ताद

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