यहाँ किससे भला आप दिल को लगाइए जनाब।
झूठे,लबार हर जगह कुकुरमुत्ते से पाइए जनाब।।
वो तो निपट अंधा ही समझता है हमको।
जो धूप से बचने गॉगल चढ़ाइए जनाब।। हाथ मिलाने की जरूरत नहीं किसी से यूँ तो यहाँ।
मिलाना ही जो पड़े तो बघनखे लगाइए जनाब।।
रोशनी,कलम,दवात से छत्तीस का आंकड़ा।
ऐसों को भला क्या आप समझाइए जनाब।।
रस्सी जली है पर देखिए तो ऐंठ इनकी।
बहुत हुआ इन्हें न मुँह लगाइए जनाब।।
जरूरत पड़ेगी तो वो फिर फैलाए हाथ आयेगा।
इन्हें जरा इनकी औकात तो दिखाइए जनाब।।
"उस्ताद"आपकी तो कट जाएगी जैसे-तैसे।
गुरु मंत्र शागिदॆ भी कुछ दे जाइए जनाब।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Tuesday, 6 August 2019
गजल-201
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