Monday, 19 August 2019

गजल-207

             हमारा जम्मू-कश्मीर
          ☆☆☆☆☆☆☆☆☆
दिल में लगी थी जो चोट वो सबको दिखा रहे।
हालात जल्द सब ठीक हों खुदा से ये मना रहे।।
केसर की महक से गमकती वादियों में अब।
लो कौमी तराने जोश से हम नए हैं गा रहे।।
दीवारें खड़ी थीं जो फासलों की सब तोड़ दीं।
शोख जाम मस्ती भरे संग साथ छलका रहे।।
यूँ देर तो हुई मगर नासूर न बने इसके वास्ते।
हौले से जख्म पर प्यार का मरहम लगा रहे।
खाईयाँ थी जो खड़ी हुईं वक्त के साथ-साथ।
सो उम्मीद ओ एतबार के पुल नए बना रहे।।
संतूर,रबाब,तुंबक*भरेंगे फिर से रूहानी सुकून।*कश्मीरी वाद्य यंत्र
सुफियाना माहौल की मिलके जोत सब जला रहे।।
ताज बन जो दमकता रहा माँ के सिर शुरूआत से।
बिखरे हीरे उस्ताद उसमें जल्द जड़ने जा रहे।।
@नलिन#उस्ताद

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