Wednesday 14 August 2019

गजल-204

तिरंगे की मेरे आन-बान-शान देखिए हुजूर।छूने को बेकरार ये आसमान देखिए हुजूर।। हौसले,उमंग की शहनाई बजे धूमधाम चारों तरफ।
मुस्तकबिल है तैयार लिए नई पहचान देखिए हुजूर।।
विश्वास की कलाई पर गणतंत्र का रक्षाबंधन हो रहा।
चेहरे पर नाज़नीन की बढी है मुस्कान देखिए हुजूर।।
रवायतों का सड़ी-गली मिटना शुरू हो गया है अब।
झूमते अंतरिक्ष को चूमने निकला चंद्रयान देखिए हुजूर।।
अभिनंदन हो रहा जल-थल-नभ सब जगह
भारतीय सैन्य शौर्य का।
दुश्मन हैं डरे-दुबके,परेशां हमारे अभियान से देखिए हुजूर।।
युवा जोश में कहते सोने की बुलबुल फिर बनेगा मुल्क हमारा।
करेंगे वंदेमातरम जब हम सभी तन-मन से गान देखिए हुजूर।।
नामुमकिन कुछ भी तो अब लगता नहीं नए निजाम में।
उम्मीदे रोशनी विश्व में करने लगी राष्ट्रगान देखिए हुजूर।।
@नलिन#उस्ताद

No comments:

Post a Comment