भारत माॅ का अभिनंदन शुभतामयी मंगल नव अलंकरण।
भा युक्त नव संकल्प नव विधान रचा-बसा नव जागरण।
अतुल जयघोष गूंज उठा धरा के कण-कण। अलौकिक राष्ट्रयज्ञ सर्वत्र देदीप्यमान किरण जन-जन प्रमुदित तन-मन अति विलक्षण।
जगमग निर्मल विचार गंगा सदृश संचरण।। अकूत उत्साह-उमंग भरी लहरों का घर्षण। अब क्षूद्र सोच,कर्मों का हो शीघ्र ही तर्पण।। स्व-उद्यम,जागृति अभियान का बढ़े नित्य आकर्षण।
स्वच्छ बने राष्ट्र हमारा है यही तो सवॆश्रेष्ठ आचरण।।
सबका साथ-सबका विकास का सम्यक हो निरूपण।
सदा सर्वोपरि राष्ट्रहित पर सबका रहे पूणॆ समर्पण।।
साहित्य,संगीत,चौंसठ कला का विधिवत हो संरक्षण।
सुमधुर अभिव्यक्ति का चले नित्य अविराम प्रशिक्षण।।
प्रतुल शंखनाद विजयश्री का देश-विदेश माल्यार्पण।
प्रगति यान शुभ्र त्वरित गति से,भूमंडल हो प्रक्षेपण।।
समरसता,सद्भाव का उर हो सबके जन-मन पोषण।
संस्कृति,श्रेष्ठ,सनातन का अखिल विश्व में ध्वजारोहण।।
विश्व गुरु की पदवी का अब करें पुनः से हम वरण।
वसुधैव कुटुंबकम-भाव अमर,हो अपना सदा समपॆण।।
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Friday, 24 May 2019
भारत माॅ अभिनंदन
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