जन्मपत्रिका के फलित पक्ष पर
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सितारों के अफसाने तो रोज ही पढ़ता हूं।
बना देते हैं क्या से क्या बस ये सोचता हूं।।
सितारों के जहां से ऊपर चलती है हुकूमत उसकी।
पाक नीयत चमकती जिसकी आंखों में देखता हूं।।
हमारी अपनी पहचान से कराते हैं वाकिफ सितारे बखूबी।
सुझायी चलूं न राह उनकी तो बेवजह फिर कलसता हूं।।
तदबीर ही बनती है तकदीर एक रोज जो करते बयां सितारे।
समझ जो आ जाए अगर यही तो कहां भटकता हूं।।
नजूमी*"उस्ताद" सही नस हर शख्स की पकड़ सके।*ज्योतिषी
ये अलग बात खुद को जरा भी नहीं पहचानता हूं।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Sunday, 19 May 2019
142-गजल
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