मच गया कोहरामे बयान हुआ तो हुआ।
बैल आ मुझे मार ऐलान हुआ तो हुआ।।
सना खूनी हाथ कत्लोगारत में साफ दिखा।
गिले शिकवों से वो अनजान हुआ तो हुआ।।
है मसीहा वो बदहाल मुफलिसों का।
उसे अब भी ये गुमान हुआ तो हुआ।।
निभा दुश्मनों से दोस्ती अपनों से रार।
आवाम अगर परेशान हुआ तो हुआ।।
इस हद तक गिर गए हैं हुजूरे आला। बलिदान का अपमान हुआ तो हुआ।।
दुनिया जाए भाड़ में अपन को है क्या।
लूट-खसोट ही अरमान हुआ तो हुआ।।
दरबदर की ठोकरें ही अब हैं नसीब में।
तेरा ये सहारा एहसान हुआ तो हुआ।।दिलायेगा सबको न्याय अब तो वो ही।
"उस्ताद" अपना बेईमान हुआ तो हुआ।।
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Saturday, 11 May 2019
135-गजल
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